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    *शिक्षकों के आभाव में पढ़ने को मजबूर मुख बधिर छात्र छात्राएं*

    ,अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित पालक अन्य जिले में स्कूल तलाशने मजबूर -अश्वनी यदु


    कवर्धा -जिन बच्चों की शिक्षा के लिये सरकार को विशेष पहल करनी चाहिये उन बच्चों को देखने वाला कोई नहीं है सरकार तो छोड़िये जिला प्रशासन भी सुध नहीं ले रही है अजित जोगी युवा मोर्चा के कवर्धा जिला अध्यक्ष अश्वनी यदु ने मुख बधिर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की

    शिक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है अश्वनी यदु ने कहा की मुख बधिरों के लिये स्कूल तो बना दीया गया है मगर दुर्भाग्य है की इस स्कूल में शिक्षकों की कमी ने दिव्यांगों का भविष्य में जैसे ताला लगा रहा है, जिन बच्चों को अतरिक्त देख रेख एवम् सामान्य बच्चों के अपेक्षा अधिक प्रशिक्षित शिक्षकों की अति आवश्यकता होती है उन

    बच्चों के बिना शिक्षक के ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है, जिला प्रशासन भी इस स्कूल के बनने के बाद जैसे भूल सी गई है अधिकारियों के उदासीनता कहिये या अनदेखा पन ये स्कूल अब भगवान भरोसे ही संचालित हो रही है आगे अश्वनी यदु ने कहा की यह विषय कोई

    छोटी नहीं है जिले के कई ऐसे गांव हैं जिनको पता तक नहीं होगा की जिले में मुख बधिर स्कूल है पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण लोग अपने दिव्यांग बच्चों को शिक्षण संस्थान तक भेज नहीं पाते दिव्यांग बच्चों को समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिये

    शिक्षा अति आवश्यक है लेकिन आज उनको ही शिक्षक के आभाव में पढ़ाई लिखाई करनी पड़ रही है, मुख बधित बच्चों के लिये सरकार को विशेष पहल करने की आवश्यकता है ताकी गरीब किसान मजदूर परिवार के छात्र छात्राएं उचित शिक्षा हेतु किसी अन्य जिला ये प्रदेश जाने को मजबूर ना हो

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    ,अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित पालक अन्य जिले में स्कूल तलाशने मजबूर -अश्वनी यदु कवर्धा -जिन बच्चों की शिक्षा के लिये सरकार को विशेष पहल करनी चाहिये उन बच्चों को देखने वाला कोई नहीं है सरकार तो छोड़िये जिला प्रशासन भी सुध नहीं ले रही है अजित जोगी युवा मोर्चा के कवर्धा जिला अध्यक्ष अश्वनी यदु ने मुख बधिर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है अश्वनी यदु ने कहा की मुख बधिरों के लिये स्कूल तो बना दीया गया है मगर दुर्भाग्य है की इस स्कूल में शिक्षकों की कमी ने दिव्यांगों का भविष्य में जैसे ताला लगा रहा है, जिन बच्चों को अतरिक्त देख रेख एवम् सामान्य बच्चों के अपेक्षा अधिक प्रशिक्षित शिक्षकों की अति आवश्यकता होती है उन बच्चों के बिना शिक्षक के ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है, जिला प्रशासन भी इस स्कूल के बनने के बाद जैसे भूल सी गई है अधिकारियों के उदासीनता कहिये या अनदेखा पन ये स्कूल अब भगवान भरोसे ही संचालित हो रही है आगे अश्वनी यदु ने कहा की यह विषय कोई छोटी नहीं है जिले के कई ऐसे गांव हैं जिनको पता तक नहीं होगा की जिले में मुख बधिर स्कूल है पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण लोग अपने दिव्यांग बच्चों को शिक्षण संस्थान तक भेज नहीं पाते दिव्यांग बच्चों को समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिये शिक्षा अति आवश्यक है लेकिन आज उनको ही शिक्षक के आभाव में पढ़ाई लिखाई करनी पड़ रही है, मुख बधित बच्चों के लिये सरकार को विशेष पहल करने की आवश्यकता है ताकी गरीब किसान मजदूर परिवार के छात्र छात्राएं उचित शिक्षा हेतु किसी अन्य जिला ये प्रदेश जाने को मजबूर ना हो