मुंगेली लोरमी,,,, राजीव गांधी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय लोरमी मे उच्च शिक्षा विभाग रायपुर एवं अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के निर्देशानुसार जनजातीय गौरव माह के अंतर्गत जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत _ऐतिहासिक,सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस संबंध में महाविद्यालय के प्रो डॉ नरेंद्र सलूजा ने बताया कि जनजातीय गौरव माह ( 10 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2024 ) के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संयोजक प्रो एन एस परस्ते तथा सह संयोजक डॉ अर्चना भास्कर के कुशल नेतृत्व तथा मुख्य अतिथि डॉ मुकेश कुमार सिंह विभागाध्यक्ष आई पी ई एंड सी ची ओ गुरुघसीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर की गरिमामई उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में मुख्य अतिथि डॉ मुकेश कुमार सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित किया तत्पश्चात् प्रियंका जायसवाल द्वारा सरस्वती वंदना,भानुप्रिया एवं तुलसी के द्वारा राष्ट्रगान एवं राजकीय गीत प्रस्तुत किया गया।प्रो एच एस राज ने स्वागत भाषण में कहा कि जनजातीय समाज ने हमें प्रकृति के संरक्षण का मार्ग दिखाया हैै, जो आज भी अनुकरणीय है। जनजातीय समाज में प्रकृति की पूजा की जाती है। पूर्वीं छत्तीसगढ़ में साल के पेड़ में जब फूल आते है तो सरहुल पर्व मनाया जाता है। जनजातीय संस्कृति में गहरी आध्यात्मिकता छिपी है। प्रस्तावना वाचन के अंतर्गत प्रो एन एस परस्ते ने कहा कि जनजातियाँ वह मानव समुदाय हैं जो एक अलग निश्चित भू-भाग में निवास करती हैं और जिनकी एक अलग संस्कृति, अलग रीति-रिवाज, अलग भाषा होती है सरल अर्थों में कहें तो जनजातियों का अपना एक वंशज, पूर्वज तथा सामान्य से देवी-देवता होते हैं। ये अमूमन प्रकृति पूजक होते हैं। डॉ अर्चना भास्कर ने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए कहा कि सरल,सहज व्यक्तिव्त के धनी डॉ मुकेश कुमार सिंह का जनजातीय समाज में अपना एक विशिष्ट स्थान हैं सच्चे अर्थों में डॉ सिंह जनजातीय समाज के एक गौरवशाली ,अभिन्न अंग एवं समाज को उतरोतर विकास के मार्ग पर ले जाने वाले हैं। मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि डॉ मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि इतिहास के अध्ययन से ही वर्तमान और भविष्य संवरता है। जनजातीय समाज का भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान है। इस समाज के भगवान बिरसा मुण्डा, शहीद वीरनारायण सिंह, रानी दुर्गावती,
गुण्डाधुर,संत गहिरा गुरु,राजा प्रवीर चंद्र भंजदेव जैसे विभूति अवतरित हुए हैं। जनजाति समाज के लोग बहुत ही सरल, सहज़ और संघर्षशील होते हैं। मान -सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए यह समाज हमेशा तैयार रहता है। जनजातीय समाज का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है. आदिवासी समाज से आज पूरी दुनिया को सीखने की जरुरत है. प्रकृति के बीच रहने वाले ये आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं. प्रकृति को अपना भगवान मानते हैं. आदिवासी समाज हमेशा से देश और दुनिया को प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का रास्ता दिखाता रहा है. मुख्य अतिथि के उद्बोधन के बाद महाविद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा आदिवासी संस्कृति की झलक के रूप में आदिवासी संस्कृत एवं नृत्य तुलसी एंड ग्रुप,गोंडवाना एवं गोंडवाना पर नृत्य संतोषी एंड ग्रुप ,जनजाति संस्कृति पर राजा एंड रानी ग्रुप,आदिवासी जल,जंगल,जमीन नृत्य सुमन एंड ग्रुप, रेलों नृत्य संतोषी एंड ग्रुप के द्वारा प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम का संचालन डॉ गंगा गुप्ता एवं आभार प्रदर्शन प्रो एच एस राज के द्वारा किया गया । इस कार्यशाला के दौरान प्रो एस के जांगड़े,श्री पी पी लाठिया,डॉ आर एस साहू,प्रो निधि सिंह,प्रो विवेक साहू,प्रो महेंद्र पात्रे, प्रो नितेश गढ़ेवाल,श्री आर के श्रीवास्तव,श्री पुर्नेश जायसवाल,श्री एन आर जायसवाल,श्री गंगाराम जायसवाल,श्रीमती सुषमा उपाध्याय,प्रो अमित निषाद,प्रो मनीष कश्यप,प्रो गुरुदेव निषाद,प्रो श्रेया श्रीवास्तव,प्रो सुषमा डहरिया,श्री अविनाश निर्मलकर,श्री शिव यादव,श्री मुकेश यादव,श्री अनुराग श्रीवास,श्री सुबुद्धि यादव,श्री नरेन्द्र ध्रुव सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।