*नवरात्रि 30 मार्च से प्रारंभ नव स्वरूप की होगी पूजा*

*तीन योग में होगी चैत्र नवरात्रि की शुरूआत, बनेंगे बिगड़े काम*

तिजराम साहू ब्यूरो मुंगेली // हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 30 मार्च को हो रही है। नवरात्रि में माता की उपासना का विशेष महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि नौ दिनों की जगह आठ दिनों की है। नवरात्रि की शुरूआत रविवार को और रविवार को ही समापन भी होगा। रविवार होने के कारण मां जगदम्बा का धरती पर आगमन और विदाई भैसे में सवार होकर हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन रेवती नक्षत्र और इन्द्र येग में होने जा रहा है। यह नवरात्रि लोगों के लिए सुख सौभाग्य और आर्थिक उन्नति में बढ़ोत्तरी करने वाला होगा।

*कलश स्थापना का मुहूर्त*

पं दिलेश दुबे ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11.36 बजे से 12.24 बजे तक रहेगा। दूसरा अभिजीत मुहूर्त 12.01 बजे दोपहर से बजे से 12.50 बजे तक रहेगा। इस विशेष मुहूर्त में कलश स्थापना करने से विशेष फलदायक माना गया है। वहीं 06 अप्रैल को महानवमी व्रत श्रद्धालु पुनवर्स व पुष्य नक्षत्र में मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 9.40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र व इसके बाद पुष्य नक्षत्र रहेगा। इस बार रविवार होने की वजह से मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर भक्तों के पास आ रही हैं। हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा की सवारी का विशेष महत्व होता है, यही वजह है कि इस बार उनका हाथी पर सवार होना विशेष शुभ संकेत माना जा रहा है। हाथी को भारतीय संस्कृति में शांति, स्मृति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस सवारी का मतलब यह है कि यह समय देश में शांति और समृद्धि का आगमन होगा।

*नवरात्रि में नव स्वरूप की होगी पूजा*

30 मार्च- प्रतिपदा, घट स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा
31 मार्च- नवरात्रि द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजा तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा
01 अप्रैल – नवरात्रि चतुर्थी, मां कुष्मांडा पूजा
02 अप्रैल- नवरात्रि पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
03 अप्रैल- नवरात्रि षष्ठी, मां कात्यायनी पूजा
04 अप्रैल- नवरात्रि सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
05 अप्रैल- नवरात्रि अष्टमी, मां महागौरी
06 अप्रैल- नवरात्रि नवमी, मां सिद्धिदात्री रामनवमी की पूजा की जाएगी।

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*तीन योग में होगी चैत्र नवरात्रि की शुरूआत, बनेंगे बिगड़े काम* तिजराम साहू ब्यूरो मुंगेली // हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 30 मार्च को हो रही है। नवरात्रि में माता की उपासना का विशेष महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि नौ दिनों की जगह आठ दिनों की है। नवरात्रि की शुरूआत रविवार को और रविवार को ही समापन भी होगा। रविवार होने के कारण मां जगदम्बा का धरती पर आगमन और विदाई भैसे में सवार होकर हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन रेवती नक्षत्र और इन्द्र येग में होने जा रहा है। यह नवरात्रि लोगों के लिए सुख सौभाग्य और आर्थिक उन्नति में बढ़ोत्तरी करने वाला होगा। *कलश स्थापना का मुहूर्त* पं दिलेश दुबे ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11.36 बजे से 12.24 बजे तक रहेगा। दूसरा अभिजीत मुहूर्त 12.01 बजे दोपहर से बजे से 12.50 बजे तक रहेगा। इस विशेष मुहूर्त में कलश स्थापना करने से विशेष फलदायक माना गया है। वहीं 06 अप्रैल को महानवमी व्रत श्रद्धालु पुनवर्स व पुष्य नक्षत्र में मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 9.40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र व इसके बाद पुष्य नक्षत्र रहेगा। इस बार रविवार होने की वजह से मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर भक्तों के पास आ रही हैं। हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा की सवारी का विशेष महत्व होता है, यही वजह है कि इस बार उनका हाथी पर सवार होना विशेष शुभ संकेत माना जा रहा है। हाथी को भारतीय संस्कृति में शांति, स्मृति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस सवारी का मतलब यह है कि यह समय देश में शांति और समृद्धि का आगमन होगा। *नवरात्रि में नव स्वरूप की होगी पूजा* 30 मार्च- प्रतिपदा, घट स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा 31 मार्च- नवरात्रि द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजा तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा 01 अप्रैल - नवरात्रि चतुर्थी, मां कुष्मांडा पूजा 02 अप्रैल- नवरात्रि पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा 03 अप्रैल- नवरात्रि षष्ठी, मां कात्यायनी पूजा 04 अप्रैल- नवरात्रि सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा 05 अप्रैल- नवरात्रि अष्टमी, मां महागौरी 06 अप्रैल- नवरात्रि नवमी, मां सिद्धिदात्री रामनवमी की पूजा की जाएगी।