*बिलासपुर जिले के लिंगियाडीह क्षेत्र में मां कामाख्या देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों की उमड़ी भीड़ ,,,, पढ़े पूरी खबर।*

आशीष कश्यप बिलासपुर= बिलासपुर जिले के लिंगियाडीह क्षेत्र में मां कामाख्या देवी मंदिर हैं, जहां भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ आई है, नवरात्रि के पावन पर्व पर केवल बिलासपुर जिले में ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोगों द्वारा यहां पहुंचकर मां कामाख्या का दर्शन प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं, मां कामाख्या देवी मंदिर के संचालक मनहरण लाल यादव के द्वारा स्वयं के व्यय से मंदिर का संचालन किया जाता हैं, यहां समय समय पर प्रसाद वितरण व भंडारे की व्यवस्था की जाती हैं,
*मां कामाख्या लिंगियाडीह बिलासपुर* में ज्योति कलश के मध्य श्री रामशंकर शुक्ल जी जो हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सेवा निवर्तमान सहायक प्रबंधक थे वर्तमान में सरजुबाग़ीचा बिलासपुर में सपरिवार निवास करते हैं
14 वर्षों से साधना रत हैं । वे ज्योति कलश के मध्य नवरात्रि में प्रतिदिन लगभग 3 घंटे अग्नि के मध्य ही दुर्गा सप्तशती का पाठ एवम नवार्ण मंत्र का जप करते हैं । श्री शुक्ला जी ने कहा कि उनका आशय मात्र पूजा पाठ से नहीँ बल्कि जनकल्याण से भी है कि वर्तमान समय मे सात्विक भाव से पूर्ण हो ताकि जनमानस किसी का किंचित मात्र अहित की कल्पना भी न कर समाज व राष्ट्र के विकास में रत रहें।

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आशीष कश्यप बिलासपुर= बिलासपुर जिले के लिंगियाडीह क्षेत्र में मां कामाख्या देवी मंदिर हैं, जहां भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ आई है, नवरात्रि के पावन पर्व पर केवल बिलासपुर जिले में ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोगों द्वारा यहां पहुंचकर मां कामाख्या का दर्शन प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं, मां कामाख्या देवी मंदिर के संचालक मनहरण लाल यादव के द्वारा स्वयं के व्यय से मंदिर का संचालन किया जाता हैं, यहां समय समय पर प्रसाद वितरण व भंडारे की व्यवस्था की जाती हैं, *मां कामाख्या लिंगियाडीह बिलासपुर* में ज्योति कलश के मध्य श्री रामशंकर शुक्ल जी जो हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सेवा निवर्तमान सहायक प्रबंधक थे वर्तमान में सरजुबाग़ीचा बिलासपुर में सपरिवार निवास करते हैं 14 वर्षों से साधना रत हैं । वे ज्योति कलश के मध्य नवरात्रि में प्रतिदिन लगभग 3 घंटे अग्नि के मध्य ही दुर्गा सप्तशती का पाठ एवम नवार्ण मंत्र का जप करते हैं । श्री शुक्ला जी ने कहा कि उनका आशय मात्र पूजा पाठ से नहीँ बल्कि जनकल्याण से भी है कि वर्तमान समय मे सात्विक भाव से पूर्ण हो ताकि जनमानस किसी का किंचित मात्र अहित की कल्पना भी न कर समाज व राष्ट्र के विकास में रत रहें।