मनोज साहू ब्यूरो जांजगीर चांपा पूर्व विधायक सौरभ सिंह खनिज विकास निगम अध्यक्ष बनाए गए जिसकी खुशी अकलतरा के उनके समर्थकों और चाहने वालों ने जमकर मनाई है । अकलतरा में 12.00 बजे पहुंचे सौरभ सिंह को घर पहुंचने में 5.00 बज गए हर जगह से उन्हें सम्मानित करने स्वागत करने लोग आ रहे हैं और बुला रहे हैं । उन सभी लोगों के साथ दो और कद्दावर नेता भी उनका हार पहनाकर स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे हैं, वे है इंजीनियर रवि पांडे और अकलतरा विधायक रह चुके चुन्नी लाल साहू , कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ से जाने के बाद ये कांग्रेस के कद्दावर नेता भाजपा की गोदी में जा बैठे । कांग्रेस में रहते हुए चुन्नी लाल साहू विधायक से प्रदेश उपाध्यक्ष तक बने दूसरी ओर इंजीनियर रवि पांडे को सबसे ज्यादा कांग्रेस मे सदस्य जोड़ने के लिए पुरुस्कृत किया गया था और उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी में संयुक्त महासचिव का पद भी बखुबी निभाया और कांग्रेस मे ये निर्णायक तत्व माने जाते थे लेकिन इस विधानसभा में व्यास कश्यप के चयन पर आहत उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया , यह कहकर कि पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही थी
पहली बात कांग्रेस के निर्णय से असहमत होने पर विधानसभा चुनाव में व्यास कश्यप को टिकट मिलते ही उन्होंने कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ा । लोकसभा चुनाव का इंतजार क्यों किया । दूसरी बात कांग्रेस का चुन्नी लाल साहू और इंजीनियर रवि पांडे को टिकट नहीं देने का निर्णय सही था और महत्वपूर्ण बात कि चुन्नी लाल साहू को तीसरी बार टिकट दिया गया था जिसमें वे अपना पहले वाला जादू जनता पर जमा न सके लेकिन फिर भी वे कांग्रेस मे निर्णायक भूमिका अदा कर रहे थे तो इन दोनों की उपेक्षा कहां पर हुई जिसकी वे अक्सर बात कहकर भाजपा में जाने को सही ठहराते रहे हैं । कांग्रेस में जिस उपेक्षा की बात कहकर वे भाजपा में सम्मान पाने गये , क्या भाजपा में वह सम्मान मिला या भविष्य में मिल सकता है । क्या कांग्रेस के ये कद्दावर नेता भाजपा के भी कद्दावर नेता कहलायेंगे , कहने का मतलब कि जिस तरह कांग्रेस मे ये दोनों निर्णायक तत्व थे क्या भाजपा में वही रुतबा हासिल होगा । भाजपा में एक तरफ कांग्रेस के दो कद्दावर नेता गये तो दूसरी ओर बसपा से विनोद शर्मा भी गये तीसरी दिशा से जिला पंचायत अध्यक्ष पति इंजीनियर आनंद प्रकाश मिरी भी अपनी पूरी धमक के साथ उपस्थित हैं जिन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपनी पत्नी को बिठाकर अपनी जगह सुरक्षित कर ली है । ये चारों ही विधायक पद के दावेदार रह चुके हैं और इसी खुन्नस में अपनी मदर पार्टी को छोड़कर भाजपा की विशाल भुजाओं को थामा है । अब अगर ये चारों या बसपा से गये विनोद शर्मा को छोड़कर विधायक की टिकट मांगते हैं तो पार्टी इनमें से किसे चुनेगी और इनमें से किसी एक को चुनने पर क्या अगले दोनों या तीनों को तकलीफ़ नहीं होगी और इनमें से किसी को टिकट मिलने पर भाजपा में निष्ठा और कर्मठता से अपना जीवन का बिताने वालों का क्या होगा । क्या भाजपा में यह संघनन प्रकिया शुरू होने का दौर है या अब भाजपा के कर्मठ इस बात से संतोष कर लेंगे कि वे देश की सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी से जुड़े तो है । इससे भी बड़ा यक्ष प्रश्न कि अगर भविष्य में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में आतीं हैं तो इन दोनों को कैसा लगेगा ।